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तीर्थ यात्रा ३१ जनवरी

वसंत पंचमी का स्नान आज, संगम पहुंचे श्रद्धालु
सिटी रिपोर्टर, इलाहाबाद : माघ मेला का चौथा महत्वपूर्ण स्नानपर्व वसंत पंचमी शनिवार को है। इस पर्व पर गंगा, यमुना व अदृश्य सरस्वती के पावन संगम पर डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं का मेला क्षेत्र पहुंचना शुक्रवार को शुरू हो गया है। मेला प्रशासन ने पर्व को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। मौनी अमावस्या के दिन लगाई गई सुरक्षा को यथावत बहाल रखा गया है। स्नान पर्व की पूर्व संध्या पर मेला क्षेत्र में सघन जांच अभियान चलाया गया।

बसंत पंचमी आज, गली-गली सजे पंडाल
रांची, कार्यालय प्रतिनिधि : तैयारी करते-करते बसंत पंचमी आ पहुंची। बसंत ऋतु की घोषणा पीताभा ने कर दी और शिशिर के समापन की भी मुनादी हो गई। उत्साह, उल्लास और उमंग की इस ऋतु का स्वागत करने के लिए धरा भी पुष्पों से सजी नजर आने लगी है। गली-गली, घर-घर पंडाल सज रहे हैं। ये पंडाल आकार में भले ही विशाल ना हों, इनके पीछे की भावना भौतिक विशालता से कहीं ज्यादा बड़ी है। बाल और किशोर वर्ग का उत्साह देखने काबिल है।

बासंती रंग में आज रंगेगी राजधानी
शहर प्रतिनिधि, भोपाल राजधानी शनिवार को बसंती रंग में रंगी नजर आएंगी। ऋतुराज बसंत के आगमन पर शहर में कई स्थानों पर रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए गए है। वहीं शुक्रवार से जनकपुरी में चार दिवसीय कार्यक्रमों की शुरूआत हुई। कार्यक्रम के पहले दिन जनकपुरी में साढ़े छह फीट ऊंची मां सरस्वती की मूर्ति की स्थापना कर पूजन अर्चन किया। मां चामुंडा शाहजहांनाबाद में पं।रामजीवन दुबे के सानिध्य में दरबार में रात्रि आठ बजे से विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है।

विद्याथिर्यो के लिए शुभकारी होती है बसंत पंचमी
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: माघ शुक्ल पंचमी को ज्ञान की देवी सरस्वती का विशेष विधानों से पूजन किया जाता है। इसे बसंत पंचमी के नाम से जाना जाता है। इस पर्व को 31 जनवरी मनाया जाएगा। इस दिन स्वयं व बच्चों की तीव्र स्मरण शक्ति, सद्बुद्धि, सफलता के लिए माता सरस्वती का पूजन करने का विधान है। ज्योतिर्विद डॉ। जगदीश चन्द्र भट्ट के अनुसार पौराणिक मान्यता है कि सृष्टि काल में ईश्र्वर की इच्छा से आद्याशक्ति ने स्वयं को पांच भागों में विभक्त कर लिया था। वे राधा, पद्मा, सावित्री, दुर्गा व सरस्वती के रूप में भगवान श्रीकृष्ण के विभिन्न अंगों में प्रकट हुई। भगवान श्रीकृष्ण के कंठ से उत्पन्न होने के कारण देवी को सरस्वती नाम से पुकारा गया।

यज्ञ के धुएं से क्षय रोग का इलाज
सुनील छइयां, हरिद्वार: हो सकता है कि आप यकीन न करें, एलोपैथी चिकित्सा जगत विश्वास न करे, लेकिन यह सच है कि यज्ञ के धुएं से क्षय रोग का उपचार किया जा सकता है। शांतिकुंज कुल के देव संस्कृति विश्र्वविद्यालय में हुए अनुसंधान ने इस मान्यता को पुख्ता किया है। देव संस्कृति विश्र्वविद्यालय में यह अनुसंधान कार्य इस विश्र्वविद्यालय से संबद्ध डा। मीनाक्षी रघुवंशी ने किया और परिणाम भी आशा के अनुरूप निकले।

क्रिया योग से सर्र्वागीण विकास संभव
इलाहाबाद : क्रिया योग से व्यक्ति का संर्वागीण विकास संभव है। उक्त विचार क्रिया योग के उपासक योगी सत्यम ने व्यक्त किये। माघ मेला क्षेत्र स्थित अपने शिविर में शुक्रवार को साधकों और श्रद्धालुओं को क्रिया योग की साधना कराने के बाद क्रिया योग के गूढ़ रहस्यों की जानकारी देते हुए योगी जी ने कहा कि क्रिया योग का वैज्ञानिक और अध्यात्मिक महत्व है इसकी साधना से न केवल शरीर स्वस्थ्य होता है बल्कि मानव का अध्यात्मिक विकास भी होता है। कहा कि क्रिया योग की निरंतर साधना से व्यक्ति का सर्वागीण उत्थान संभव है।
(सौजन्य: दैनिक जागरण )