ई झरोखे से झांकिए अपने गाँव मोहल्ले में

दुनिया काफी तेजी से बदल रही है. बदलाव की बयार इतनी तेज है कि एक दिन चूके नहीं कि पिछड़ गए. तो फिर जुड़े रहिये अपने देश, शहर और गॉव मोहल्ले की खबरों से अविरत...

तीर्थ यात्रा १ फरवरी, २००९

बदरीनाथ के कपाट एक मई व गंगोत्री के 27 अप्रैल को खुलेंगे
नरेंद्रनगर (टिहरी), उत्तरकाशी: हिंदुओं के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल गंगोत्री और बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि तीर्थ पुरोहितों ने घोषित कर दी है। गंगोत्री के कपाट अक्षय तृतीया के दिन 27 अप्रैल और बदरीनाथ धाम के कपाट 1 मई को श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खुल जाएंगे। शनिवार को बसंत पंचमी के पर्व पर श्री पांच गंगोत्री मंदिर समिति की बैठक में सालभर की ज्योतिष चर्चा के साथ ही शुभ पर्व व मुहुर्तो पर भी विचार किया गया है। पंचांग के अनुसार 27 अप्रैल को अक्षय तृतीया के दिन गंगोत्री के कपाट पूर्ण धार्मिक अनुष्ठान के साथ खोलने का निर्णय लिया गया।

सूरजकुंड क्राफ्ट मेला आज से
फरीदाबाद, जागरण संवाद केंद्र : 23वें सूरजकुंड क्राफ्ट मेला आज से प्रारंभ होगा। राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल मेले का उद्घाटन करेंगी। इस बार मेले का थीम स्टेट मध्यप्रदेश है। इस बार के आयोजन में मेला प्राधिकरण को मिस्र देश का सहयोग मिला है। मेले की व्यवस्था का जायजा लेने पहंुचीं पर्यटन मंत्री किरण चौधरी ने मेले से जुड़ी जानकारियां पत्रकारों को दी।

वसंतोत्सव: हवन -पूजन व सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रही धूम
हमारे संवाददाता, गोरखपुर : वसंत पंचमी पर्व पर शनिवार को महानगर में विभिन्न स्थानों पर वाग्देवी मां सरस्वती का पूजन-अर्चन किया गया। गोष्ठियां आयोजित हुई और बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्र्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग में विधिविधान से सरस्वती पूजन किया गया। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष प्रो। सच्चिदानन्द श्रीवास्तव तथा पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो। माता प्रसाद त्रिपाठी ने भारतीय संस्कृति में मां सरस्वती के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।

शक्तिपीठों में एक हैं अलोप शंकरी
इलाहाबाद : अलोपीबाग स्थित सिद्धपीठ अलोप शंकरी देवी मंदिर की गणना 51 शक्तिपीठों में की जाती है। कहते हैं कि प्रजापति दक्ष के यज्ञ में सम्मिलित होने आयीं सती ने जब अपने पति भगवान शंकर का वहां अपमान होते देखा तो उन्होंने वहीं अपने शरीर का त्याग कर दिया। इस घटना से भगवान शिव बहुत क्रोधित हुए एवं सती के शव को लेकर ताण्डव करने लगे। तब संसार में हाहाकार मच गया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए भगवान विष्णु ने अपने चक्र से शव के टुकड़े-टुकड़े कर दिये। ये टुकड़े पृथ्वी पर 51 स्थानों पर गिरे। जिनमें एक स्थान अलोप शंकरी भी रहा। कालान्तर में इस स्थान का नाम भी अलोपीबाग पड़ गया।
(सौजन्य : दैनिक जागरण )

वीणावादिनी की भक्ति में पीतांबरमय हुई राजधानी
शहर प्रतिनिधि, भोपाल शहर में शनिवार को मंदिरों सहित विभिन्न स्थानों पर बसंतोत्सव उमंग के माहौल में मनाया गया। जगह-जगह पूजा-अर्चना व रंगारंग कार्यक्रम हुए। स्कूलों में मां सरस्वती की पूजा का यह पर्व श्रद्धा और उल्लास से मनाया गया। वहीं बंगाली समाज ने रंगारंग कार्यक्रम से बसंत की छटा बढ़ा दी। बसंत पंचमी पर तड़के से ही मंदिरों में लोग पीले वस्त्र पहनकर पहुंचने लगे थे। मंदिरों व घरों में श्रद्धालुओं ने मां सरस्वती और शारदा की विशेष पूजा अर्चना कर आरती की।

रंगमंच पर जीवंत हुई पौराणिक लोक गाथाएं
जागरण कार्यालय, रामनगर: उत्तराखण्ड राज्य स्तरीय सांस्कृतिक प्रतियोगिता की अंतिम शाम भी पूरी तरह उत्तराखंड की सभ्यता व संस्कृति के नाम रही। शनिवार को कलाकारों ने अपने अभिनय कला की ऐसी छाप छोड़ी कि पौराणिक गाथाएं रंगमंच पर सजीव हो उठी। अंतिम दिन की पहली प्रस्तुति में देहरादून के कलाकारों ने तेड़ी की तिलोगा और अमर देव सजवाण की पे्रम गाथा पर आधारित नाटिका का सफल मंचन किया।