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तीर्थ यात्रा, ११ फ़रवरी

डा. लियूक हो गये विष्णु और मारिशी राधा

नैनी, इलाहाबाद : फ्रांस के डा. लियूक की नयी पहचान अब विष्णु है तो उनकी पत्‍‌नी का नया नाम कमला है। फ्रांस की डा. मारिशी भी राधा बन गयी हैं। भारतीय सभ्यता व संस्कृति का जादू केवल इन्हीं पर नहीं, और भी कई विदेशियों पर चला है। जो पूरी तरह भारतीयता के रंग में रंग गये हैं। मंगलवार को जब इन विदेशियों के पांव अरैल तट पर पड़े तो मानो पश्चिम और पूरब में कोई अंतर ही नहीं रह गया था। रंग को छोड़कर उनके सारे गुण भारतीय परंपरा का अहसास करा रहे थे। गुरु की तपोस्थली पर मत्था टेकने के बाद उनके उनके चेहरे की चमक बता रही थी कि उन्होंने यहां आकर क्या पाया है। अरैल स्थित सच्चा आश्रम में 15 से 23 फरवरी तक अन्तरराष्ट्रीय साधना शिविर का आयोजन किया गया है। इसमें शिरकत करने के लिए सात समुन्दर पार कर दो दर्जन से अधिक विदेशी भक्त अपने गुरु की नगरी पधार चुके हैं। मंगलवार को विदेशियों ने गुरु की तपोस्थली पर मत्था टेक ध्यान लगाया। इसके बाद संगम जाकर Fान किया। इस दौरान वे पूरी तरह से भारतीय परंपरा में रचे बसे नजर आये। गुरु के सानिध्य में आने के बाद कई विदेशी भक्तों ने अपने नाम तक बदल लिए हैं। पेरिस निवासी डा. लियूक पेशे से इंजीनियर हैं। सच्चा बाबा के शिष्य स्वामी चेतन महराज के सानिध्य में आने के बाद वे भारतीय संस्कृति से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके। उन्होंने अपना नाम बदलकर विष्णु रख लिया। अब तो फ्रांस में भी लोग विष्णु नाम से ही जानने लगे हैं। अपनी पत्‍‌नी का नाम भी बदलकर कमला रख दिया। इसी प्रकार फ्रांस की टूलूस शहर की रहने वाली डा. मारिशी डूकासे 1986 में स्वामी चेतन के सानिध्य में आयीं जिसके बाद उनमें भारतीय संस्कृति के प्रति प्रेम भाव जागा। उत्तरांचल स्थित ऋषिकेश आश्रम में अपने पति के साथ कुछ दिन बिताने के बाद इन्होंने अपना नाम बदलकर राधा रख लिया। इसी प्रकार पेरिस निवासी नाटय कलाकार मोनिका अब अंबिका बन गई हैं। उनका मानना है कि गुरु के सानिध्य में आने के बाद उनके जीवन में काफी बदलाव आया है। फ्रांस के रिटायर्ड इंजीनियर जंकलोड, डा. पाउल, डा. पैट्रिक, सिमान, गिगिल और जैमिपर भी गुरु की तपोस्थली पर साधना को लेकर उत्साहित हैं।

क्योंकि आनंद ही जीवन है

हल्द्वानी : ट्रांसपोर्ट नगर स्थित डी क्लास में मंगलवार को कलश यात्रा के साथ भागवत कथा का शुभारंभ हुआ। श्रद्धालु सैकड़ों की तादाद में कथा श्रवण करने पहुंचे। प्रात: 9 बजे भागवत कथा के शुभारंभ पर महिलाओं द्वारा एक कलश यात्रा निकाली गयी। कुमाऊंनी परिधानों में सजी-धजी महिलाओं की कलश यात्रा ट्रांसपोर्ट नगर होती हुई बरेली रोड स्थित कालका मंदिर पहुंची। जहां महिलाओं द्वारा जलाभिषेक किया गया। कथा के प्रथम दिन कथा वाचक श्री नमन कृष्ण महाराज ने प्रवचन में कहा प्रत्येक जीव की एकमात्र खोज परम आनंद की प्राप्ति होती है। क्योंकि आनंद ही जीवन है। आनंद ही परिपूर्ण है। लेकिन माया व अज्ञान के प्रभाव से भवसागर में फंसकर जीव इंद्रिय जनित विकारों से ग्रसित हो जाता है। वह काम, क्रोध, लोभ, मोह में पड़कर दु:ख को प्राप्त होता है। कथा वाचक श्री महाराज जी ने धुंधकारी और धुंधली देवी की कथा सुनाते हुए कहा अत्याधिक भोग की प्रवृति दु:ख, अभाव, संताप, क्लेश आदि का एकमात्र कारण है। श्रद्धालु कथा सुनने सैकड़ों की तादाद में पहुंचे। कथा में वृन्दावन से आये शंकर दास, प्रमोद जी आचार्य, एमसी त्रिपाठी, गिरीश भट्ट, समित, पूरन, कथा में मुख्य यजमान शंकर दत्त पाण्डे, बद्रीदत्त, पूरन चंद्र पाण्डे आलोक, धर्मेंद्र, आनंद पाण्डे समेत सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित थे।

(सौजन्य: दैनिक जागरण)