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तीर्थ यात्रा, ४,५ फ़रवरी, २००९

कुरान को काव्यात्मक शैली में पिरो रहे हैं रविंद्र जैन
महबूब आलम,बरेली आगाज करता हूं कुरान का उनके नाम से। वो है जो रहमान रहीम अल्ला। जिसका नाम है जो मांगने से रहम दे। रहमान और रहीम है वो। रहम करना उसका काम है। इस भाव के साथ प्रसिद्ध संगीतकार एवं गायक रविन्द्र जैन कुरान का तरजुमा (अनुवाद) अशार की जुबान (काव्यात्मक शैली) में कर रहे हैं। उन्तीस पारे तक उन्होंने तरजुमा कर भी लिया है तीसवें पारे पर काम चल रहा है। इसका नाम उन्होने रूहे कुरान रखा है। कुरान के बारे में उनका मानना है कि यह इन्सान की बहबूती और फलाह के लिए है। यानी उत्थान और कल्याण। उन्होंने कहा कि खुदा या ईश्वर! जिस रूप में भी माने वह निराकार है। कुरान में भी यही है और वेदों में यही है। वह किसी एक का नहीं सब का है सारी दुनिया का है। खुदा कुरान में खुद कहता है अलहम्दो लिल्लाहे रब्बिल आलमीन- यानी मैं सारे आलम (संसार) का रब हूं। उन्होंने खुदा को जानने और उसकी चाहत का जिक्र करते हुए रामायण की एक पंक्ति का जिक्र किया कि-सोई जाने जिनी देहूं जनाई। जानत तुमही, तुमही होई जाई।। उन्होंने कुरान की एक आयत पढ़ते हुए कहा कि इन नहू काना जुल्मन जहूला-यानी इंसान जालिम भी है और जाहिल भी। कुरान हो या वेद यह इंसान को इंसान बनाने के लिए है। वह 17 साल से इस तरजुमे पर काम कर रहे हंै जो अन्तिम चरण में है। बात चीत के दौरान उन्होंने अलहम्दो शरीफ, अलिफ-लाम-मीम और सूरे बकर का जिक्र करते हुए जुबानी तरजुमा काव्यात्मक शैली में सुनाया भी। यूं तो इस तरह के अशारी तरजुमे कई मुस्लिम स्कालरों ने किये हैं। मगर रविन्द्र जैन पहले ऐसे हिन्दू स्कालर हैं जिन्होंने आशारी तरजुमा किया है। एक सवाल पर उन्होंने कहा आज कल के बच्चे बहुत समझदार हैं उन्हे जैसा बताया या दिखाया जा रहा है उसे वह ग्रहण कर रहे हैं। इसीलिए उनकी यह कोशिश है कि नई पीढ़ी धर्म का सही स्वरूप जान सके। वह यह समझ सके कि सब एक है। इसी से जुड़े एक और सवाल पर उन्होंने कहा कि यह तो अलीगढ़ के संस्कार हैं जो उनके अन्दर समाए हुए हैं। उनके विचार उनकी जुबान सब कुछ। वहां नशिश्त होती रहती थी। कुरान के वाज होते रहे हैं। इसी लिए यह सब कुछ उनके अन्दर समाया। अलीगढ़ का उनपर एहसान है। बता दें कि वह मूल रूप से अलीगढ़ के निवासी हैं। इससे पहले भी नातिया कैसेट उनकी डीआर कम्पनी रिलीज कर चुकी है जिसमें हम्द, नात और सलाम है जो उन्होंने पाकिस्तानी गायक मेंहदी हसन से गवाया था। वह पंडित रविन्द्र नाथ टैगोर की रचनाओं का भी हिन्दी में अनुवाद कर रहे हैं। इन दिनों राजश्री प्रोडक्शन के बैनर तले बनने वाली फिल्म तानसेन में वह संगीत दे रहे हैं। हाल ही में रिलीज हो चुकी विवाह फिल्म में उन्होने संगीत दिया था और नया रामायण धारावाहिक में उनका संगीत चल रहा है।

महायज्ञ से मिलता है परमसुख व शांति
मुजफ्फरपुर, हकाप्र। : महायज्ञ से परमसुख की प्राप्ति होती है। प्रभु कृपा से 84 लाख योनियों में मानव सर्वोत्तम है। मानव तन विलास भोगने मात्र के लिए नहीं मिला है, यह परमानन्द की अनुभूति एवं परमसुख-शांति की प्राप्ति के लिए मिला है। उक्त बातें बुधवार को विश्व कल्याणार्थ श्री सीताराम नाम जप महायज्ञ की तैयारियों पर श्रद्धालु भक्तों के बीच आयोजित सभा में संत शिरोमणि बाल तपस्वी नारायण दास जी ने कही। उन्होंने कहा कि आगामी 28 फरवरी से दादर पुल के निकट मिथिलाधाम स्थित गंडक नदी के तट पर दस दिवसीय श्री सीताराम वैदिक महायज्ञ का आयोजन किया गया है। इसमें 108 कीर्तन कुंजी में 2160 नाम जापक एवं 1008 हवन कुण्डों में 4045 साधक शामिल होंगे।

नवाह्नपारायण पाठ व प्रवचन-हवन जारी
रांची, काप्र : गाड़ी खाना, अपर बाजार स्थित श्री द्वारिकाधीश मंदिर में श्रीपंचकुंडीय श्री राम महायज्ञ तथा प्राण प्रतिष्ठा समारोह पहली फरवरी से चल रहा है। यहां रोजाना तुलसीकृत श्री रामचरित मानस का नवाह्नपारायण पाठ किया जा रहा है। संतों के प्रवचन के साथ हवन-यज्ञ भी जारी है। । इस मौके पर ब्रह्मलीन श्रीश्री 108 सप्तऋषि जागेश्वर महाराज के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। महाराजश्री 12 जुलाई 2008 को ब्रह्मलीन हुए थे।